क्या आप जानते हैं चारधाम यात्रा का सही क्रम

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यमुनोत्री धाम: यह यात्रा का प्रथम पड़ाव है, जहाँ यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यह उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है और यहाँ देवी यमुना की पूजा की जाती है।

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गंगोत्री धाम: यह दूसरा पवित्र स्थल है, जहाँ गंगा नदी का उद्गम माना जाता है। गंगोत्री मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह स्थान हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

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केदारनाथ धाम तीसरा पड़ाव है, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर हिमालय की गोद में 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ शिवजी के केदार रूप की पूजा होती है।

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बद्रीनाथ धाम: यह चार धाम यात्रा का अंतिम पड़ाव है, जहाँ भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ भगवान विष्णु की शीतकालीन प्रतिमा स्थापित की जाती है।

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यात्रा का महत्व: चार धाम यात्रा को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है और इसे पूरा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह यात्रा आध्यात्मिक शुद्धि और भक्ति का प्रतीक है।

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यात्रा का समय: यह यात्रा आमतौर पर अप्रैल-मई से शुरू होकर अक्टूबर-नवंबर तक चलती है, क्योंकि सर्दियों में मंदिर बंद रहते हैं।

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यात्रा मार्ग: यात्रा का क्रम पश्चिम से पूर्व की ओर है—यमुनोत्री → गंगोत्री → केदारनाथ → बद्रीनाथ। इस क्रम का धार्मिक और भौगोलिक महत्व है।

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कठिनाई और सावधानियाँ: यह यात्रा काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसमें ऊँचे पहाड़ों और खड़े चढ़ावों से गुजरना पड़ता है। यात्रियों को स्वास्थ्य और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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